Sunday, December 20, 2009

दोस्ती

दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राये ली जाये।
मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,
अब कहाँ जा के साँस ली जाये।
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाये।
मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे,
आज फिर कोई भूल की जाए
बोतलें खोल के तो पी बरसों,
आज दिल खोल के भी पी जाये।
राहत इन्दौरी

No comments:

Post a Comment