Monday, July 27, 2009

स्वर्गीय नेटवर्क


पिछले दिनों मेरे मोबाइल पर एक मेसेज आया ...एक ९७ वर्ष की बुजुर्गे महिला ने लाइफ टाइम सिम खरीदी , इसे कहते है कांफिडेंस। मै सोच मे पड़ गया आख़िर उसने सिम ही क्यो खरीदी कुछ और भी तो ले सकती थी। बहुत सोचने के बाद समझ आया की उसे कांफिडेंस तो था, पर ख़ुद पर नही सल्लुलेर कंपनियों पर। हां भाई, जिस तरह से वो आगे बढ़ रहे है ऐसे तो लगता है की बहुत जल्द वो अपने नेटवर्क टावर स्वर्ग और नर्क मे भी लगा देंगे। तो यहाँ का नम्बर वहा भी काम करेगा। कुछ दिनों पहले अखबार मे पढ़ा था की अब चाँद से भी मोबाइल पर बात की जा सकेगी। मतलब मंजिल पर जाते वक्त पड़ाव मे भी फूल नेटवर्क। और जो कोई जाते जाते कुछ कहना भूल जाए वो पहुच के मोबाइल पर बता दे। श्राद्ध की कोंई जरूरत नही ..मोबाइल पर बात कर लो। इनका नेटवर्क भी वफादार कुत्ते की तरह होगा...जो कभी पीछा ही नही छोड़ता।
ऐसे मे मोबाइल कंपनिया अभी से तैयारी मे है ..स्वर्ग और नर्क मे ब्रांड एम्बेस्टर लिए शायद पृथ्वी पर ही किसी को तलाश ले। स्वर्ग के लिए कोंई आम आदमी और नर्क के लिए कोई नेता । नर्क के लिए नए मोबाइल चलेंगे .. जब नर्क वाले किसी से बात करे तो उनकी चीख्‍ा की जगह हंसी सुनाइ दे।

चीन के बाद भारत मे सब से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता है। अब चीन से आए मोबाइल फोन्स ने इनकी संख्या और बढ़ा दी है। मेरा दोस्त एक सल्लुलेर कम्पनी मे काम करता है , उसने बताया कि हम लोग एक आदमी को दो, तीन, जितने वो चाहे सिम दे देते है। आदमी की फि‍तरत है वो कुछ भी न करे पर बात करना कभी नही छोड़ता...

Friday, July 24, 2009

मिट्ठू विभाग


आपने कभी सड़क किनारे बैठे मिट्ठू वाले ज्योतिषियों से अपना भविष्य जाना है। नही न ...शायद आपको उनकी बताई भविष्यवाणियों पर यकीन नही करते होंगे। तो फ़िर मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर यकीन कैसे कर ले। एक बारगी तो मिट्ठू वाले ज्योतिषियों की बातें सच भी हो जाए पर मौसम विभाग की कोई भी बात आज तक सही साबित नही हुई। और हो भी क्यो ए.सी.मे बैठकर गर्मी का हाल भला बताया जा सकता है। इस बार मौसम विभाग ने बारिश न होने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन हम सब मौसम वालो के नजरो से बचकर भारत आए बादलो से रोज भीगते है।

मौसम इनके साथ टॉम एंड जेरी का खेल खेलता है। और ये हमेशा ही उसे पकड़ नही पाते। जब मौसम विभाग के एक बड़े अधिकारी से पूछा गया की आप हर बार फ़ैल क्यो हो जाते है? तो उनका कहना था कि हमारा सेलेबस अभी तक नही बदला गया। विदेशो के साइंटिस्ट ग्लोबल वार्मिंग और अल नीनो जैसे कई नए सब्जेक्ट पढ़ते है और उनके पास नए उपकरण भी है। केन्द्र सरकार हर साल स्कूल और कॉलेज के सेलेबस बदल रही है पर मौसम विभाग, मिट्ठू जैसे रटे हुए पुराने नियमो से मौसम को पकड़ने कि फिराक मे रहता है। एक बात मे तो मौसम विभाग का जवाब नही और वो है चेतावनी । चेतावनी वो भी जब मुश्किल सामने आजाये। इनका स्लोगन हम आग लगने पर कुआ खोदते है ...होना चाहिए। इतनी चेतावनी तो कभी ओसामा ने भी अमेरीका को नही दी होगी जितनी मौसम वाले देते है। देश का किसान सबसे पहले मौसम वालो को कोसता है उसके बाद मौसाम फ़िर सरकार फ़िर अपनी किस्मत और आखरी नम्बर भगवान का आता है। कल मेरे दोस्त एक जोक सुना रहे थे ...एक मौसम अधिकारी से पूछा गया कि तापमान कितना है तो उन्होंने अपने जेब से थर्मा मीटर निकाल कर अपने मुह मे लगा लिया। अब ये कब मौसम की कुंडली सही जान पायेगे पता नही ...फिलहाल मिट्ठू विद्या (रटंत) से काम चलाओ।

Monday, July 20, 2009

मैडम माया मुजियम


अमिताभ बच्चन, एश्वर्या राय बच्चन और शाहरुख़ खान की मुर्तिया मैडम तुसाद मुजियम मे लगी है। बस मायावती ही बच गई तो इसकी कसर उन्होंने यू. पी.के चोराहो पर अपनी मुरतियो का मुजियम खोल कर निकाल ली। इतना ही नही माया की इन मुरतियो की कीमत तुसाद मुजियम मे लगी सभी मुरतो से भी ज्यादा है। माया का दिमाग भी कम नही वे अगर तुसाद की तरह मोम की मुर्तिया चोराहो और बागो मे लगवाती तो उनके विरोधी उसे रातो रात पिघला देते। पर पत्थर नही पिघता और न माया पिघली। अपने प्रदेश के खजाने के १२०० करोड़ रूपये को मुरतियो के लिए स्वाहा कर दिए । सभी मुरतियो मे माया अलग अलग पोज मे खड़ी है । किसी माया के हाथ मे बैग है तो किसी के सर पर मुकुट । इस बात मे भी माया तुसाद से दो कदम आगे निकल गई ।
कल यूग की सब से बड़ी माया पैसे को कहा जाता है। लेकिन इस माया (पैसे ) की मुरतियो ने बागो के शहर लखनऊ को रेगिस्तान बना दिया । मायावती अपनी सत्ता और सरकारी पैसे की माया से जो न कर दे वो काम है । जिस माया को यू .पी.ने अपने दिल मे रख कर जिताया था । अब वह लोगो के दिलो से निकल कर बागो और चोराहो पर आ गई है । माया को शायद याद नही रहा की चोराहे पर खडे रहने से अच्छा दिलो मे रहना है ।

Saturday, July 18, 2009

चटोरे इन्दोरी

जितने टेस्ट आपने कही चखे नही होंगे उतने इन्दोर मे मिल जायेगे
मिले भी क्यो ना हर गली नुक्कड़ पर पोहे जलेबी के छोठे छोटे ठेले
पोहे के बिना इंदौर की लाइफ ही रूक जाए
राजवाडा सराफा और छप्पन पर जो न मिले सो कम है
किसी भी टाइम यहाँ टेस्ट का मज़ा लेते इन्दोरी मिल जायेगे
किसी भी चटोरे इन्दोरी की जबान चीनी कम के अमिताभ की तरह है
मुह मे रखते ही बता देंगे की इंग्रेदिएंट्स क्या क्या है
तिलक पथ पर रानाडे आंटी की आलू की कचोरी का कोई जवाब नही
एवर फ्रेश का बेक समोसा, विजय चाट पर पेटीस
हम भी ऑफिस मे खबरे लिखते लिखते भूख लगने पर
नीचे उतर कर पोहे जलेबी दबा (खा) लेते है
पूरी दुनिया मे भारत के मसाले प्रसिद्ध है
और भारत मे इंदौर के चटखारे।