Thursday, December 3, 2009

जो बीत गई सो बात गई/ हरिवंशराय बच्चन

जीवन में एक सितारा थामाना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गयाअंबर के आंगन को देखोकितने इसके तारे टूटेकितने इसके प्यारे छूटेजो छूट गये फ़िर कहां मिलेपर बोलो टूटे तारों परकब अंबर शोक मनाता हैजो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुमथे उस पर नित्य निछावर तुमवह सूख गया तो सूख गयामधुबन की छाती को देखोसूखी कितनी इसकी कलियांमुरझाईं कितनी वल्लरियांजो मुरझाईं फ़िर कहां खिलीपर बोलो सूखे फ़ूलों परकब मधुबन शोर मचाता हैजो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला थातुमने तन मन दे डाला थावह टूट गया तो टूट गयामदिरालय का आंगन देखोकितने प्याले हिल जाते हैंगिर मिट्टी में मिल जाते हैंजो गिरते हैं कब उठते हैंपर बोलो टूटे प्यालों परकब मदिरालय पछताता हैजो बीत गई सो बात गई
मृदु मिट्टी के बने हुए हैंमधु घट फ़ूटा ही करते हैंलघु जीवन ले कर आए हैंप्याले टूटा ही करते हैंफिर भी मदिरालय के अन्दरमधु के घट हैं मधु प्याले हैंजो मादकता के मारे हैंवे मधु लूटा ही करते हैंवह कच्चा पीने वाला हैजिसकी ममता घट प्यालों परजो सच्चे मधु से जला हुआकब रोता है चिल्लाता हैजो बीत गई सो बात गई

1 comment:

  1. धन्यवाद , हरिवंश राय बच्चन की कविता से रूबरू करवाने का |

    जो बीत गई सो बात गई

    भूलता कोई नहीं , रहे अन्जान बेशक

    हाँ , जोर देकर कोई बात हर वक़्त नहीं कही जा सकती |

    ReplyDelete